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अकबर बीरबल के किस्से - भाग 32

अंगूठी और मुल्ला नसरुद्दीन


एक बार मुल्ला नसरुद्दीन के एक मित्र जो कि व्यापार करने के लिए किसी दूसरे देश को जा रहा था उसने मुल्ला से कहा कि क्यों नहीं तुम अपनी ये अंगूठी मुझे दे देते ताकि जब तक मैं तुमसे दूर रहूँगा तो जब जब इस अंगूठी को देखूंगा मुझे तुम्हारी याद आयेगी।

इस पर मुल्ला ने कहा देखो अगर मैं तुम्हे अंगूठी देता हूँ और तुम इसे खो दोगे तो निश्चित ही मुझे भूल जाओगे और क्या ये अच्छा नहीं है मैं तुम्हे मना कर देता हूँ और तब जब भी तुम अपनी ऊंगली को खाली खाली देखोगे तो तुम्हे याद आयेगा कि तुमने मुझसे अंगूठी मांगी थी लेकिन मैंने तुम्हे दी नहीं थी इसलिए तुम पहले की अपेक्षा कंही अधिक मुझे याद रख पाओगे।

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